तुकारामजी की
हिन्दी रचनाँए

 
 

चरित्र

 
 

अनुवाद

 
 

गांधीज

 
 

बालगोपाल

 
 

प्रतिक्रिया

 
 

मुखपृष्ट

 

बाल गोपाल

 

चित्र : क्षितिज थिगळे
अनुवाद - श्रीराम शिकारखाने

 

प्रेम की कहानी बात सुनिए जगजेठी । कहता हूँ बात स्मरण आयी ॥
एक हिरन अपने दो शावकोंके साथ । सुख आनंदसे थे चरते वन में॥

 

 

एक पारधी वहाँ अचानक आया। साथ में दो श्वान वहाँ लाया॥

 

 

एक ओर जाल बिछाया । दुसरी ओर श्वान को थमाया॥
लगाई आग एक ओर। स्वंय रहा खडा एक ओर ॥

 

 

घेरे गये मृग चारो ओर से। पुकारते तेरा नाम मांगती मिन्नते ॥

 

 

राम कृष्ण हरी गोविंद केशव । ईश्वरों का ईश्वर हमें उभार अब॥
ऐस संकट में हमारी रक्षा कौन करे। बाप तू जगदिश सिवा तेरे ॥

 

 

सुनकर वचन उनके तुमने । पिघला अंतर तुम्हारा लथपथ कृपासे॥
उस अवसर पर पर्जन्य को करी आज्ञा। झटसे आग को डाला बुझा ॥

 

 

खरगोश एक वहाँ उठा भगाया। उसके पीछे दौडे श्वान दोनो॥

 

हिरन चौंककर तत्पर निकले। रक्षा गोविंद ने की समझ चुके वे ॥
कृपालु दयालू है तू ऐसा । सुहृद जीवलग अपने भक्ताप्त का ॥
बहु प्रिय ऐसी तुम्हारी ख्याति । तुका कहे रखूमाई के पती ॥